Kitna samay beet gya hai .jab likhna Shuru kia tha tab school mein ho rhe drama ke baare mein likha tha .Koi bhi chiz ya phir koi Anubhav aacha lagta uske baare mein gahr aakar likhti thi .Ab Zindagi itni vyast ho gyi hai ki ek pal pehle Kya soch rhi thi wo bhi yaad nhi rehta ...Anubhav kaise yaad rhenge .
आज इतने समय बाद अपना लिखा हुआ ब्लाग देखा तो mann किया की फिर से कुछ लिखूं । पहले अंग्रेजी में लिखना शुरू किया फिर लगा क्यों न जो सोच रही हूं वैसे ही लिखूं ।
कहां से शुरू करूं समझ नहीं आता। २०११ की पोस्ट है। कुछ लिखने या सोचने लगती हूं तो लगता है समय दौड़ता जा रहा है ।लेकिन ये नही सोचती की पकड़ के करूं भी क्या उसके साथ । जैसा सोचा था जिंदगी होगी वैसी ही है थोड़ी थोड़ी बस अब उसमे करना क्या है और क्या किया है अब तक ये समझ नही आ रहा । शादी से पहले अगर कोई पूछता की अगले पांच साल में क्या करना है तो एक किताब लिख देती लेकिन अगर कोई अब पूछ ले की पिछले पांच साल में क्या किया तो क्या बोलूं? ये सवाल अपने आप से भी पूछती हूं और अर्पित से भी ।उसके पास तो बहुत कुछ है बताने को । उसने काफिनकुच हासिल किया है और उसे आगे भी हासिल करने की भूख है । लेकिन मेरे सपनो या अरमानों की चिंगारी तो अब आखरी सांस ही ले रही है । अब तो याद भी nhi आता क्या करना चाहती थी मैं। क्यों होता है ऐसा की हम अपने जीवन के मध्य पड़ाव की और जाते हैं तो इतने हताश हो जाते हैं अपनी बीती जिंदगी से । या सिर्फ में ही हूं जो इतनी हताशा भरी बातें लिख रही हूं। कभी कभी लगता है दुनिया में सबसे गलत मैं ही हूं । कोई भी स्थिति जो सामने आई है ।उसमे अपना कसूर जरूर दिखा है । आगे लिखुंगी इस बारे में । अभी ये सोच लो की शब्द कोष जोड़ रही हूं ।दुख की बातें लिखते समय मुस्कुराना ये पहली बार देखा है मैंने ।शायद ये हताशा भरी बातें लिख पा रही हूं उस बात की खुशी है ।
आगे और लिखूंगी पर लगता है आज के लिए इतना ही ! सोच रही हूं एक जीवनी लिख दूं । मरने pe कोई आए न आए कोई भुला भटका ब्लॉग देख कर ही मेरी जिंदगी की कहानी पढ़ लेगा । फिर मरने की बात पे कहते पे मुस्कुराहट आ गई। मैं कब इतनी अवसादग्रस्त हो गई ।लगता है अगला ब्लॉग लिखना होगा जल्द ही । और उसे लिखने के लिए अपने साथ हुई सारी aachi बातें बटूर्नी होगी अपने दिमाग कोश से ।
मिलते है अगली पोस्ट पे ।